1.शुक्रिया, शशी कपूर  

शुक्रिया आपको
आप के मन का सच्चा अभिनेता
स्वयं बच्चों के पास जा रहा है
उनसे बतिया रहा है
उनके मन में जो आपसे मिलने की ललक है
उसे समझ कर
आप का सहज व्यवहार चकित करता है
आपका मन बड़ा है
जो इन दिव्यांग बच्चों से जुड़ा है
आपने राधा और अफजल के
सर पर भी हाथ फिराया
राधा शरमाई
अफजल मुस्कुराया
मैंने भी यहाँ आकर
समय नहीं गंवाया
आपको ये हमेशा याद करेंगे
शुक्रिया आपको
इनके मूक शब्दों में
बड़ी व्यंजना है|
(वर्ष -2003 में लिखी गयी )
2.अमरजोति
उमा जी की अमरजोति है
या कि अमरजोति
से बनी हैं उमा जी
कहना कठिन है
एक बार जो गया है
वह प्रेरणा से भर गया है
मुग्ध भाव से
आपकी सेवा का फलक
नए अनुभव के सोपान बनाता है
आपका ये मिशन
दिव्यांग बच्चों के लिए
नए आसमान रचता है
ये नई उड़ान का
हवाई अड्डा है
ये नए जलयानों का
नया बंदरगाह है
कुंठितों को अकुंठ
करना आसान कभी नहीं रहा
आपने तो पूरे देश को
दिव्यांग जन की खिड़की से
पुनर्सृजित करने का
बीड़ा उठाया
आपके प्रयास को नमन
आज जो कुछ समावेशी हो सका है
उसमें आपके प्रयास समाविष्ट हैं|
(-2004)



3.बास्केट बाल
ह्वील चेयर से
बास्केट बाल खेलते हुए
बच्चे खिलखिला रहे हैं
दूसरे बच्चे से छीनकर
मोहन गोल पोस्ट में
बाल डालने में सफल हुआ
अब वह खेल रहा है पूरे मन से
उसे अपनी अक्षमता को बदल लिया है
क्षमता के व्याकरण से
वो खुश होकर नाच रहा है
लट्टू सा अपनी ह्वील चेयर पर|
(-2005 )

   
4.नेत्रहीन बच्चों का क्रिकेट
जैसे सब खेलते हैं
वैसे नेत्रहीन बच्चे भी
खेलते हैं क्रिकेट
उनकी बाँल बजती है
वो ध्वनि के आधार पर
पकड़ते है बाँल को  
आवाज के सहारे करते हैं बैटिंग
फील्डिंग भी सुनकर  ही
की जाती है
इनके गीत भी बहुत
लुभाते हैं मन को
इन्हें लोग कितना भी अलग समझें
अपनी सक्षमता से
ये खुद ही बनाते है अपनी दुनिया को
अपने हिसाब से
अब तो इन्होने ने खोल ही लिए हैं
दुनिया के बंद दरवाजे|
(2006)

@भारतेंदु मिश्र
पूर्व समन्वयक समावेशी शिक्षा 

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